Hindi Poetry By Hemant
hindi poetry, story, current affairs
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
बेमिसाल
जूझता है मानव ,
निकलती है चिंगारी
बदते है कदम ,
तो मिलाती है डगर
पाई जीन्हाने मंजील
सफर उनके नही थे खामोश
जूनून सरफरोशी के बांधे
चलते चले ओढे तन पर कफन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें