मंगलवार, 24 नवंबर 2009

vidhwao ka ganw

भीलवाडा के बिजोलिया गांव में जिन्दगी की कोई कीमत नहीं हे भीलवाडा के बिजोलिया गांव में पुरुस पत्थर की खदानों में कम करते हे पत्थर की खदानों में कम करते रहने के पांच - सात सालो बाद इसका बुरा प्रभाव फेफड़ो पर सीधा पड़ता हे और इलाज के अभाव में अगले दो तीन साल में आदमी मोत के कगार में पहुच जाता हे
बिजोलिया गांव के युवा दो जून की रोटी के लिए खदानों में कम करने चले जाते हे और आठ दस साल दे अन्दर अपनी जिन्दगी गँवा देते हे इस स्थिति के कारन गांव में पुरुषो की संख्या दिनों दिन कम होती जा रही हे और ३५ र्षिकेस ४० साल के उम्र में थ विधवा हो रही हे बनेडा पंचायत समिति के श्रीजी का खेडा गांव में तो हालत और भी भयानक हे क्यों की यहाँ ६० घरो में ७० विधावाए रहती हे इसमें र्षिकेस अधिकांस विधावाए ४० साल से भी कम हे कुछ परिवार तो यहाँ एसे भी हे जहा पुरुषो का नामोनिशान नहीं बचा हे इस पुरे गांव में महज ३५ पुरुस बचे हे जिनमे से ज्यादा ने तो बिस्तर पकड़ रखा हे यदि यही सिथिति रही तो शायद आने वाले कुछ सालो में यहाँ केवल विधावाए ही रहेंगी

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