Hindi Poetry By Hemant
hindi poetry, story, current affairs
मंगलवार, 15 जून 2010
Stone eye
पथरायी आँखे
पाषाण को तरसने वाली आँखे खुद पाषाण हो चुकी हें, पत्थर को रूप देने वाली खुद पत्थर हो चुकी हें आँखे हें, दो जून की
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