बुधवार, 19 मई 2010

maa ka aanchal

मेरी माँ को समर्पित 
हर दर्द को उठाया, हर गम में मुस्कुराया 
गीले में सारी रात जग कर भी 
ठण्ड से हमको बचाया 
आँखों में आँसू भर कर भी
हमारी ख़ुशी में मुस्कुराया 
खुद भूखे रखकर भी
छाती का लहू श्वेत हमको पिलाया 
हमारी बीमारी में सारी  रात रो कर आँखों में बिताई
थपकी दे दे कर हमको सुलाया  एसी   
पूजनीय देवी को न रुलाना
कुछ भी घट जाये
पर अपनी श्रधा  सेवा इनके प्रति तुम न घटाना 

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