Hindi Poetry By Hemant
hindi poetry, story, current affairs
शनिवार, 15 मई 2010
mandir or madira
ये कैसी हे सोच सायानी
करनी हे कुछ आमदनी
मंदिर और मदिरा दोनों
को शामिल कर दी कैसी कारस्तानी
इन्सान की हे ये कैसी सोच सायानी
धर्म के नाम पर खता हे इन्सान
धर्म के नाम पर पीता हे इन्सान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें