शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

मातृ भूमि

यह ख़त उन शाहिदो के नाम
जो मातृ भूमि पर हो चले कुर्बान
जो हे अनाम रहे तकती निगाहे पथरा गई आखे ना आया उनका कोई पैगाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
बिकती हे उनकी कब्र होते हे उनके सोदे मैडल के
जिन्होंने बेच दी अपनी जान देश की हिफाजत के नाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
राहे तकती रह गई , बेटियों की डोली कब लगेगा कन्धा बाबुल का
सुनी रह गई रखिया बंधने को कलाइयों में सिंदूर ना सजा मांगो में , रोई बहुवे बंद कोठरियों में ,
चुप गया बादल खुशी का , अंधेरे में ना आता हे उनका कोई ख़त हमारे नाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
जो हे आज देश दे सरताज मर चुका हे उनका ईमान
सोदा करते हे मातृ भूमि का ये खुले आम
नही कर पाता कानून अपना काम ,
क्यो हे ये कानून के ठेकेदार
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
यह खर उन शाहिदो हे नाम
जो मातृ भूमि पर हो चले कुर्बान
नमन उन शाहिदो का हेमंत का बारम्बार

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